प्रश्न : वास्तु विज्ञान किन तत्वों पर आधारित है?
उत्तर : वास्तु शास्त्र जैव शक्ति, गुरुत्वाकर्षण शक्ति, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र, वायु की गति एवं ब्रह्माण्डीय तरंगों पर आधारित विज्ञान है।
प्रश्न : क्या वास्तु के नियम सभी लोगों पर लागू होते हैं?
उत्तर : उपरोक्त प्राकृतिक शक्तियां, तरंगें, गति एवं क्षेत्र भला भेदभाव करना कहां जानती हैं। इनके लिए अमीर-गरीब, शिक्षित-गंवार, छोटा-बड़ा, हिंदू-मुस्लिम सभी बराबर हैं। अत: वास्तु के नियम किसी भी स्थान पर निष्पक्ष रूप से सभी पर लागू होते हैं।
प्रश्न : अनेक लोग वास्तु के नियमों के प्रतिकूल रहने पर भी बिना किसी कठिनाई के जीवन व्यतीत करते हैं?
उत्तर : अनेक लोग वास्तु के नियमों की तब तक परवाह नहीं करते हैं, जब तक उनका समय अनुकूल रहता है एवं धन अथवा बल से उन्हें जीवन की हर समस्या को सुलझाने का विश्वास रहता है, परंतु तीव्र वास्तु दोष रहने पर ऐसी स्थितियां सदैव नहीं रहती हैं। समय के प्रतिकूल होते ही घातक बीमारियां या अप्रत्याशित दुर्घटनाएं जीवन में अनायास प्रवेश कर जाती हैं, अधिकांश लोगों को तभी वास्तु के नियमों का आभास होता है। परंतु वास्तु सम्मत निवास स्थान पर ऐसी दुष्कर परिस्थितियों की संभावना न्यूनतम अथवा क्षीण होती है।
प्रश्न : घर का ईशान कोना (उत्तर पूर्व) क्यों पवित्र माना जाता है? हमें उसे क्यों खुला रखना चाहिए?
उत्तर : पृथ्वी के 22 डिग्री झुके होने के कारण मकान के उत्तर पूर्वी कोने को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। सुबह के समय जब सूर्य पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है तो केवल इंफ्रा रेड किरणें ही धरती तक पहुंच पाती हैं, जो मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती हैं। अत: उत्तर पूर्व भाग के खुला होने से लाभदायक इंफ्रा रेड किरणों को घर में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न : क्या केवल उत्तर या पूर्व दिशा वाले प्लाट या दरवाजे ही अच्छे होते हैं?
उत्तर : मकान का द्वार बनाने के लिए दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य) को छोड़कर प्राय: सभी दिशाएं कमोबेश रूप से उचित हैं। परंतु सभी मकानों में आकृति एवं आंतरिक सज्जा महत्वपूर्ण होती है। वास्तु सम्मत अनुकूल आकार एवं सज्जा द्वारा सभी दिशाओं के प्रवेश द्वार को सकारात्मक बनाया जा सकता है।
प्रश्न : क्या मंदबुद्धि, स्फूर्तिहीन या ढीले ढाले विद्यार्थियों को वास्तु से सहायता मिल सकती है?
उत्तर : वास्तु सम्मत परिवर्तन करके मैंने स्वयं अनेक छात्र-छात्राओं की अध्ययनशीलता एवं स्मरणशक्ति में चमत्कारी परिणाम प्राप्त किये हैं। विशेषकर शिक्षा संबंधित पिरामिड यंत्रों की स्थापना एवं प्रयोग से विद्यार्थियों को आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है। यह मेरा स्वयं का अनुभव है।
प्रश्न : क्या पूजा-पाठ से वास्तु दोष दूर किये जा सकते हैं?
उत्तर : यदि आपकी गाड़ी का चक्का पंचर हो गया है तो आपको पूजा-पाठ करने की जगह किसी मिस्त्री को बुलाना पड़ेगा। 'वास्तु शास्त्रÓ भू शक्तियों का विज्ञान है। पूजा-पाठ, जप-तप, तंत्र-मंत्र से वास्तु दोष का निवारण भला कैसे हो सकता है?
प्रश्न : क्या गृहस्थों के लिए पूजा-पाठ का कोई फायदा नहीं है?
उत्तर : श्रद्धा-विश्वास एवं आस्था से की गयी पूजा एवं भक्ति निश्चित रूप से साधक को परमपिता परमेश्वर का कृपा पात्र बनाती है एवं उसे जीवन में धैर्य, संतोष, शक्ति तथा शांति जैसे गुण प्रदान करती है, फलत: उसके कर्म भी कल्याणप्रद बन जाते हैं एवं जीवन सुखद हो सकता है। परंतु पूजा एवं भक्ति का मार्ग अत्यंत जटिल है एवं एकाग्रता तथा निरंतरता से ही परिणाम मिलते हैं।
प्रश्न : क्या वास्तु विवाह संबंधित समस्याओं में भी सहायक बन सकता है?
उत्तर : अगर विवाह योग्य पात्र गलत कमरों में, गलत स्थितियों, गलत वातावरण में निवास या शयन करते हैं तो उनके विवाह में विभिन्न प्रकार की बाधाएं आना सामान्य बात हैं। शयनकक्ष में वास्तु दोष होने पर वैवाहिक जीवन में भी सामंजस्य की कमी होती है। वास्तु विशेषज्ञ की सहायता लेकर इन समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
प्रश्न : तमाम कोशिशों के बावजूद हम अपना दोष युक्त घर नहीं बदल पा रहे हैं?
उत्तर : निवास स्थल अथवा कार्य स्थल पर प्रचण्ड वास्तु दोष होने पर स्थिति इतनी नकारात्मक हो जाती है कि समस्त प्रयासों के बावजूद लोगों को घर या दुकान बदलने में सफलता नहीं मिलती है, ऐसी स्थिति में अस्थायी रूप से वास्तु सम्मत निवास में स्थानांतरण करने पर अत्यंत अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं एवं सभी प्रयासों में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त हो सकती है।
प्रश्न : आखिर वास्तु सम्मत स्थान पर निवास या व्यवसाय किया जाय तो क्या परिणाम मिल सकते हैं?
उत्तर : यह एक सर्वमान्य यथार्थ है कि जो लोग वास्तु सम्मत स्थान पर निवास एवं कार्य करते हैं, उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं आनन फानन नहीं आती हैं। परिवार में शान्ति, सन्तोष एवं सौहार्द की प्रवृत्ति रहती है तथा ईष्र्यालु लोगों की नजरों से भी बचाव होता है। जीवन में मददगार मित्र एवं अच्छे रिश्तेदार मिलते हैं तथा सुख व समृद्धि सदैव सहज हासिल होती है।
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Friday, July 30, 2010
वास्तु संबंधित प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न
Posted by Sushil Kumar Mohta at 12:26 AM
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