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Friday, July 23, 2010

देखन में छोटे लगे, घाव करे गंभीर


सम्पूर्ण विश्व में तेजी से फैलते वास्तु-शास्त्र के महत्व एवं महत्ता ने यह स्थापित कर दिया है कि मानव जीवन में तनाव, बीमारी, असफलता, अनबन एवं असंतोष जैसी अनेक समस्याओं का कारण मूलत: वास्तु के नियमों की प्रतिकूलता होती है। जितने गहरे वास्तु दोष किसी स्थान पर होते हैं, उतनी ही समस्याऐं वहां के निवासियों को त्रस्त करती रहती हैं। अधिकांशत:, वास्तु-दोषों से अवगत होते हुए भी लोग तोड़-फोड़ के डर से, अनहोनी के डर से या वास्तु-विशेषज्ञ की फीस के डर से टाल मटोल करते रहते हैं एवं असमंजसवश निर्णय लेनें में बरसों लगा देते हैं।
परिणामस्वरूप, नकारात्मकता उनके जीवन का हिस्सा न जाती है एवं वे आसानी से प्राप्य सुख एवं समृद्धि से वंचित रह जाते हैं। छोटी-छोटी एवं नगण्य लगने वाली वास्तु सम्बन्धी असावधानियों आपके जीवन में उथल-पुथल मचाकर रख सकती हैं। अगर आपको भी लगता है कि जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है, तो जरा गौर करें -
* कहीं आपने दक्षिण-पूर्व के कमरे में नीला एवं उत्तर-पूर्व के कमरे में नारंगी या लाल रंग तो नहीं करवा रखा है ?
*कहीं आपने चंदन या कुंकुम के छींटे मार-मार कर देवी-देवताओं के नयन एवं चेहरे तो नहीं ढंक दिये हैं।
* कहीं आपने गणेश-लक्ष्मी या लाफिंग बुद्ध को आलमारी में बन्द करके तो नहीं रखा है?
* कहीं आपने पलंग के सिरहाने में दर्पण तो नहीं जड़वा रखे हैं ?
* कहीं आपने घर की दीवारों पर तितलियों के चित्र तो नहीं टांग रखे हैं ?
* कहीं आपने शयन कक्ष में अकेली या उदास औरत के चित्र या शो-पीस तो नहीं सजा रखे हैं?
* कहीं आपके घर, कार्यालय या कारखाने के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) का फर्श अन्य दिशाओं के फर्श से ऊंचा तो नहीं है?
* कहीं आपने ईशान कोण या उत्तर मध्य के कमरों में कबाड़ तो नहीं भर रखा है ?
* कहीं वे कमरे बहुधा अन्धकारमय तो नहीं रहते हैं?
* कहीं आपके घर के दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा अन्य दिशाओं की अपेक्षा हल्का, खुला एवं नीचे तो नहीं है ?
* कहीं आपके फ्लैट या मकान का उत्तर-पूर्व, उत्तर, दक्षिण-पूर्ण, दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम कोना कटा हुआ तो नहीं है?
* कहीं आप पूजा के बहाने नित्य ईशान में हवन तो नहीं करते हैं ?
* कहीं आपने ईशान में भारी-भरकम चबूतरा या पत्थरों का मंदिर तो नहीं बनवा रखा है ?
* कहीं आपके ईशान एवं उत्तर को फ्लाई ओवर, रेलवे पुल या ऊंची इमारतें व्यवधान तो नहीं पहुंचा रही हैं ?
* कहीं आपके मकान के ब्रह्मस्थान (मध्य) में बोर वेल, भूगर्भ पानी की टंकी या कुंआ तो नहीं है?
* कहीं आपने मुख्य द्वार के आस-पास नुकीले पौधे या जूतों की आलमारी तो नहीं लगा रखी है ?
* कहीं आपने अपने घर में जहाँ-तहाँ विभिन्न प्रकार के दर्पण तो नहीं लगा रखे हैं ?
* कहीं आपके घर की छत पर ईशान कोण में पानी की टंकी तो नहीं है ?
* कहीं आपके घर के दरवाजे या खिड़की के सामने मन्दिर, मस्जिद या कब्रिस्तान तो नहीं है?
* कहीं आपने ईशान के कमरे का पलंग ईशान की दीवार से तो नहीं लगा रखा है?
* कहीं आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) के कोने में आप दक्षिण-पूर्व की दीवार के साथ लगे बिस्तर पर तो नहीं सोते हैं?
* कहीं आपकी रसोई में सिंक एवं चूल्हा पास-पास तो नहीं है?
अगर उपरोत्त प्रश्नों में से किसी भी प्रश्न का जवाब अगर.. हाँ.. में है, तो निश्चित रूप से वास्तु-दोष आपके जीवन में स्वास्थ्य, सुख एवं समृद्धि के मार्ग में बाधक बन रहा है।
भली-भांति समझकर, उनका निदान कीजिये।
जरा आजमा कर देखें -
अपनी रसोई के चावल के कनस्तर में एक लाल लिफाफे में सात सिक्के डाल कर, सबसे नीचे रख दें एवं कनस्तर दक्षिण-पश्चिम में रखें, कनस्तर के चावल कभी भी खाली न होने दें। आधे शेष होने पर पुन: भर दें।
देखिये ! चावल के कनस्तर की तरह आपकी तिजोरी भी शायद भरी रहे, सदा के लिये।
सुशील कुमार मोहता
वास्तु परामर्शदाता एवं पायरा वास्तु विशेषज्ञ

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